China को एक और झटका, पेगाट्रोन आ रही भारत

नई दिल्ली। चीन को इन दिनों झटके पर झटके लग रहे हैं। चीन ने जिस तरह से दुनिया में तनाव बढ़ाया है, उसके बाद वहां पर बड़ी कंपनियों या तो कारोबार नहीं करना चाह रही हैं, या उसे घटाना चाहती हैं। इसी क्रम में दुनिया की सबसे बड़ी मोबाइल कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरिंग कंपनी पेगाट्रोन भारत आ रही है। यह मोाबइल के अलावा नोटबुक, डेस्कटॉप, मादरबोर्ड, टेबलेट, गेमिंग कंसोल, एलसीडी टीवी सहित स्मार्ट मोबाइल फोन बनाती है।
एप्पल के लिए काम करती है कंपनी
इवान की कंपनी पेगाट्रोन एप्पल के लिए मोबाइल फोन बनाती है। एप्पल की यही एक सहयोगी कंपनी बची थी, जो अभी तक भारत में नहीं आई थी। एप्पल के लिए दुनियाभर में तीन कंपनियां ही मोबाइल फोन का निर्माण करती हैं। यही तीन कंपनियां एप्पल की बताई जगहों पर अपने प्लांट लगाती हैं। अब पेगाट्रोन ने भी भारत में अपनी उपस्थिति दर्ज करा दी है।
एप्पल भारत से करेगी मोबाइल फोन का निर्यात

एप्पल की योजना चीन से कारोबार में धीरे धीरे कमी लाकर उसे दूसरे देशों में शिफ्ट करने की है। एप्पल को लगता है कि चीन में कारोबारी माहौल अब गड़बड़ होने लगा है। यही कारण है कि वह धीरे धीरे चीन से निकलने की तरफ कदम बढ़ा रही है। इसी क्रम में एप्पल के लिए मोबाइल फोन बनाने वाली कंपनियां अब भारत में अपने पांव जमा रही हैं। इसी क्रम में अब तीसरी कंपनी भी भारत आ गई है। इसके बाद एप्पल के सभी मोबाइल फोन का भारत में निर्माण संभव हो सकेगा। उम्मीद है कि भारत जल्द ही एप्प्ल के लिए सबसे बड़ा निर्यातक देश भारत बन जाएगा।

जानिए चीन में एप्पल की स्थिति

एप्पल चीन में वर्ष 2018-19 के दौरान सबसे बड़ी निवेश कंपनी थी। यहां पर एप्पल कुल मिलाकर 200 अरब डॉलर से भी ज्यादा के मोबाइल फोन और अन्य उत्पादों को बना रही थी। इसमें से ज्यादातर का निर्यात होता था। लेकिन अब स्थिति बदलना शुरू हो रही है।

मोदी सरकार की योजना का असर

मोदी सरकार ने कोरोना माहामारी के दौरान ही देश में इलेक्ट्रानिक उत्पादों के निर्माण बढ़ाने के लिए एक कैशबैक योजना की घोषणा की थी। यह योजना करीब 50 हजार करोड़ रुपये की है। इस योजना के तहत देश में पूरी तरह से इलेक्ट्रानिक उत्पाद बनाने वाली कंपनियों को कैशबैक दिया जाएगा। सरकार ने यह प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस प्रक्रिया के तहत 5 देश की और 5 विदेशी कंपनियों का चयन किया जाएगा। इससे उम्मीद है कि अगले 2 से 3 साल में देश में इलेक्ट्रानिक उत्पादों के निर्माण के क्षेत्र में स्थिति पूरी तरह से बदल जाएगी।

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