शेयर बाजार से अमीर बनने का गुरूमंत्र


पिछले चार महीनों में कोरोना वायरस के फैलाव के कारण हमें कई इम्तिहान से गुजरना पड़ा। म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री की भी परीक्षा हुई। शेयर बाजार में अस्थिरता थी। मार्च में बड़ी गिरावट आई। उसके बाद अच्छी रिकवरी भी दिखी।

शेयर बाजार का स्वभाव ही ऐसा है। कहा जाता है कि अस्थिरता शेयर बाजार की खामी नहीं, खूबी है। इसलिए निवेशकों को समय-समय पर ऐसे उतार-चढ़ाव से गुजरना पड़ता है। अच्छा हो कि आप इसका फ़ायदा उठा सकें।

म्यूचुअल फंड में जून में निवेश के आंकड़े बताते हैं कि शेयरों में पैसा लगाने वाले इक्विटी फंड्स में विशुद्ध निवेश कई साल के निचले स्तर पर चला गया। दूसरी ओर, डीमैट और नए ब्रोकरेज एकाउंट की संख्या बढ़ी। यानी म्यूचुअल फंड्स के बजाय लोगों ने सीधे शेयर ख़रीदना पसंद किया।

हाल में बाज़ार का दमखम जिस तरह से लौटा है, उससे लोगों को शायद लगा कि फंड की तुलना में ज्य़ादा मुनाफा वे अपनी अक्ल लगाकर कमा लेंगे। शायद वे अपनी क्षमता पर कुछ ज्यादा ही भरोसा करने लगे हैं। कुछ पेनी स्टॉक्स और ख़राब कंपनियों के शेयर लगातार चढ़ रहे हैं और उनमें अपर सर्किट लग रहा है। यह सतर्क होने का समय है।

इन शेयरों पर आंख मूंदकर दांव न लगाएं। शेयरों में सीधे निवेश करने में कोई खराबी नहीं है, लेकिन पहले यह अच्छी तरह समझ लें कि किस तरह के जोखिम हो सकते हैं। और पैसा लगाने से पहले कंपनी के बारे में अच्छे तरीके से जानकारी जुटा लें। अगर आप यह न कर पाएं तो बेहतर यही होगा कि किसी प्रफेशनल मैनेजर की मदद से निवेश करें। याद रखें कि कुछ भी फ्री नहीं मिलता है। कम समय में बड़े मुनाफे की लालच में बेहतर भविष्य को दाव पर न लगाएं।

पिछले कुछ महीनों में मैंने और मेरी टीम ने अपने कई निवेशकों और सलाहकारों से बात की है। इस बातचीत में अपने निवेशकों की मैच्योरिटी देखकर बहुत खुशी हुई। इससे पहले बाज़ार में गिरावट के मौकों पर ऐसा माहौल नहीं दिखा था। इस बार निवेशकों का संजीदा बर्ताव और उनका धैर्य देखकर मुझे सुखद आश्चर्य हुआ।

उन्होंने अपने एसेट एलोकेशन में बदलाव नहीं किया। उन्होंने सिस्टेमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान से निवेश में भी कोई बदलाव नहीं किया। बाजार गिरने का लाभ लेने के लिए उन्होंने हर गिरावट पर निवेश बढ़ाया। इन निवेशकों ने समझ लिया है कि शेयरों में निवेश एक मैराथन है, न कि फर्राटा दौड़। यह देखकर अच्छा लग रहा है कि निवेशकों ने उतार-चढ़ाव को बाजार में निवेश की राह का हिस्सा मान लिया।


दूसरी ओर, कीमतों में बहुत ज्यादा कमी और बढ़ी हुई अस्थिरता ने लोगों की परीक्षा भी ली। बाजार की स्थितियां बदलने के साथ हमने निवेशकों का बर्ताव बदलते देखा। अनुभवी निवेशकों के लिए भी इम्तिहान की घड़ी आ गई। लंबी अवधि के लिए निवेश करने वाले लोग बाजार में उतार-चढ़ाव से घबराने लगे। पिछले कुछ महीनों में मैंने और मेरी टीम ने तमाम निवेशकों से बातचीत की और उनके बर्ताव में बदलाव से रूबरू हुए। यहां पेश है उसका ब्योरा।

पहले बात करते हैं उस निवेशक की, जो डरा हुआ है और उलझन में है। ये निवेशक बाजार में हर गिरावट पर घबरा जाते हैं और अपना निवेश भुनाना चाहते हैं। जो नुकसान कागज पर दिख रहा होता है, उसे ये अपने असल घाटे में बदल देने पर आमादा हो जाते हैं। ऐसे निवेशकों को काफी समझाने-बुझाने की जरूरत होती है क्योंकि आमतौर पर ये नए निवेशक होते हैं। अपने पोर्टफोलियो की वैल्यू में इन्होंने बड़ी गिरावट दरअसल देखी नहीं होती है। इनमें से अधिकतर को किसी समझदार शख्स के साथ की जरूरत होती है, जो इनकी भावनाओं और व्यवहार को संभाल सके। जरूरत इस बात की है कि हम इन्हें निवेश की राह पर बनाए रखें।

हमने यह भी देखा है कि काफी निवेशकों ने पिछले चार महीनों में बाजार में तेजी या गिरावट का अंदाजा लगाने की कोशिश करते हुए कदम बढ़ाए हैं। बाजार की चाल का अंदाजा लगाना फिजूल है। ऐसे वक्त में यह पुरानी कहावत याद रखना जरूरी है कि मार्केट में एंट्री या एग्जिट का सटीक समय तलाशने से ज्यादा अहम होता है मार्केट में बिताया गया समय।

निवेशक किसी शेयर के सबसे निचले भाव पर उसमें पैसा लगाना चाहते थे और निवेश टालते रहे। बाजार जब वापस चढ़ने लगा तो इनमें से कुछ निवेश नहीं कर सके क्योंकि उनकी नजर मार्च में बने निचले स्तरों पर टिकी रही। कुछ निवेशकों ने हाल में ऊंचे स्तरों पर पैसा लगाना शुरू किया है। उन्होंने ऐसा इस डर से किया कि कहीं सस्ते शेयरों में निवेश का मौका लंबे समय के लिए न निकल जाए।

गिरते हुए बाजार का फायदा लेने के पक्ष में मैं भी हूं, लेकिन यह अंदाजा लगाना असंभव है कि निचला या ऊपरी स्तर क्या होगा। बेहतर यही है कि बाजार में हर गिरावट पर सोच-समझकर और व्यवस्थित तरीके से निवेश किया जाए। इसमें न तो अंदाजा लगाने के स्वाभाविक रुझान को आड़े आने देना चाहिए और न ही अति-आत्मविश्वास में कदम उठाना चाहिए।

इसके बाद उन निवेशकों की बारी है, जो बहुत ज्यादा एनालिसिस करते हैं और इसके चलते उधेड़बुन में फंसे रह जाते हैं। ये आर्थिक आंकड़ों को समझने में बहुत समय और ऊर्जा लगाते हैं। ये हर नए न्यूज आर्टिकल और सोशल मीडिया कमेंट को पढ़ जाते हैं। ये हर तरफ से आ रही सूचनाओं में दब से जाते हैं। ये अलग-अलग नजरियों का निचोड़ नहीं निकाल पाते। इस उलझन की वजह से वे अपने निवेश के बारे में कोई तार्किक निर्णय नहीं कर पाते। ये निवेश करना तो चाहते हैं, लेकिन वैल्यूएशन के आकर्षक रहने पर ये पैसा लगाने से चूक जाते हैं। दरअसल जानकारी के बोझ के कारण ये फैसला नहीं कर पाते।

ऐसे भी निवेशक हैं जो खराब सलाह के शिकार बन जाते हैं। इन्हें इनके निवेश के बारे में ऐसे लोग सलाह देते हैं जिनके पास सलाहकार होने की न तो योग्यता होती है और न ही वे इस रूप में रजिस्टर्ड होते हैं। मैंने देखा है कि ऐसे निवेशकों के लिए यह बहुत घातक बात होती है। ऐसे लोगों को बदतर दौर में उनके पोर्टफोलियो के बारे में बेमतलब के कदमों की सलाह दी जाती है। ऐसी सलाह देने वाले या तो एकाउंटेंट हो सकते हैं या इनके साथ लंबे समय तक रहे कोई कर्मचारी। ऐसे निवेशक दोस्तों और परिवार के लोगों से भी सलाह लेते हैं। यहां तक कि सोशल मीडिया पर अनजान शख्स से भी। ऐसे निवेशकों को मेरी सलाह तो यही है कि काबिल और रजिस्टर्ड सलाहकारों की मदद लें। ऐसे लोगों के पास इस विषय का ज्ञान और अनुभव होता है। हमारे देश में तमाम समझदार सलाहकार हैं।

आखिर में उन निवेशकों की बारी जो परेशानी में फंस गए हैं। उन्होंने बाजार में निवेश किया, लेकिन मौजूदा हालात में कई कारणों से उन्हें अपना निवेश भुनाना पड़ा। कारोबारियों को अंदाजा है कि उनके कारोबार में सुस्ती आएगी। उन्हें निकट भविष्य में पैसे की जरूरत होगी। अगर नौकरियां खत्म होती हैं या दूसरे मुश्किल हालात बनते हैं तो उन्हें आपात स्थिति से निपटने लायक फंड रखना होगा। ऐसे निवेशकों से मेरी सहानुभूति है। उम्मीद है कि उनकी स्थिति ठीक होने पर वे जल्द वापसी करेंगे।

मेरा मानना है कि जो निवेशक अपने एसेट एलोकेशन पर टिके रहेंगे, व्यवस्थित रूप से निवेश करते रहेंगे और संयम दिखाएंगे, वे सफल होंगे। इस मुश्किल दौर से निपटने में भावनात्मक मजबूती अहम साबित होगी। भेड़चाल से बचने का संयम दिखाना होगा। साथ ही, निवेश की प्रक्रिया पर भरोसा रखना अहम होगा। इस उतार-चढ़ाव का सामना करना होगा। और इसका फायदा लेने के लिए पसंद न होने पर भी ज्यादा निवेश करना होगा। इसका अच्छा फायदा मिलेगा।

हमारे संस्थापक पराग पारिख अक्सर कहते थे, 'बाजार में प्रतिभा से नहीं, बल्कि अलग-अलग हालात में एक जैसे व्यवहार से व्यक्ति धनवान बनता है।'

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